Friday, September 18, 2020

 *आशैव राक्षसी पुंसाम्*

*आशैव विषमञ्जरी।*

*आशैव जीर्णमदिरा*

*नैराश्यं परमं सुखम्॥*   


अर्थात - प्राणी के लिए आशा ही राक्षसी, विषलता और जीर्ण मदिरा के समान है, अतः अपने जीवन में आशारहित होकर उद्योग करना चाहिए इसी में परम सुख है।


*🙏💐🌻मङ्गल🌻💐🙏*

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